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रे गरीबी




स्वर:- रितेश पांडेय



 खाए के मिले ना रोटी छूछे हो....।


खाए के मिले ना रोटी छुछे। एह हालत में केहू ना पूछे। हाई रे बदनसीबी।

( रे गरीबी दुनियां में केहू ना करीबी।)2


(दाना दाना आण खातिर मन छछनेला

घूमे के परे नंगे पाउं।)2


(एकही रे हथे जग गड़ला ए बिधना)2

तब काहे काईल दुई भाग।


केहू उपास केहू खा के मरे।

केहू के घरे ना चूल्हा जले।


।सुस्के ली घर में बीबी। 


(रे गरीबी दुनियां में केहू ना करीबी।)2


लाज सरम अब धरम नाही बचल

दुनियां में केहू के पास।


लाज सरम अब धरम नाही बचल

पंकज हो केहूवो के पास।


(भिखियो दियाता त फोटो खींचा ता।)2


बनल गरीबी के मजाक। नेता लोग बस भाषण देता।

रोवे देखा गरीब के बेटा।


।कहिया दिल पसीजी।


( रे गरीबी। दुनियां में केहू ना करीबी।)2





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