स्वर:- गुंजन सिंह
(इतना बदल गैलू )2।की यकीन ना होला हो।
इतना बदल गैलू की यकीन ना होला हो।
बिना तरपे जवन गुजरे हाई ऊ दिन ना होला हो।
(इतना बदल गैलू की यकीन ना होला हो।)2
(बड़ी फुर्सत से तोहके। भगवान बनाओले हो
बाकी दिल के जगहिया पे लागे पत्थर लगवले हो।)2
देखी केतनो दर्दया के गमगीन ना होला हो
(इतना बदल गईलु कि यकीन ना होला हो)2
तन हार गईल बाकी मन्हार ना माने हो
एगो तोहरे सिवा गुंजन कुछ और ना जाने हो।
तन हार गईल बाकी मन्हार ना माने हो
एगो तोहरे सिवा कुन्दन कुछ और ना जाने हो।
सब इतना मोहब्बत में गोरी रीन ना होला हो
(इतना बदल गईलु कि यकीन ना होला हो)4

